Tuesday, November 6, 2012

मशाले बालकर चलना कि जब तक रात बाकी है

मशाले बालकर चलना कि जब तक रात बाकी है
संभलकर हर कदम रखना कि जब तक रात बाकी है

मिले मंसूर को शूली जहर शुकरात के हिस्से,
रहेगा जुर्म सच कहना कि जब तक रात बाकी है
मशाले बालकर चलना कि जब तक रात बाकी है
संभलकर हर कदम रखना कि जब तक रात बाकी है

पसीने की तो तुम छोड़ो लहू मजदूर का यारों,
है सस्ता खून पानी से कि जब तक रात बाकी है
मशाले बालकर चलना कि जब तक रात बाकी है
संभलकर हर कदम रखना कि जब तक रात बाकी है

झुका सिर को तू मंदिर में या मस्जिद में तू कर सजदा,
कि तेरे गम होंगे कम, कि जब तक रात बाकी है
मशाले बालकर चलना कि जब तक रात बाकी है
संभलकर हर कदम रखना कि जब तक रात बाकी है

जब तक रहेंगे सवार हर महफ़िल पे उल्लू ही,
पपीहे की सुनेगा कौन कि जब तक रात बाकी है
मशाले बालकर चलना कि जब तक रात बाकी है
संभलकर हर कदम रखना कि जब तक रात बाकी है

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