प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry)
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Tuesday, September 17, 2013
वीरांगना
मैंने उसको
जब-जब देखा
लोहा देखा
लोहे जैसा-
तपते देखा-
गलते देखा-
ढलते देखा
मैंने उसको
गोली जैसा
चलते देखा।
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