वे सारे खीरे जिनमें तीतापन है हमारे लिए
वे सब केले जो जुड़वां हैं.
वे आम जो बाहर से पके पर भीतर खट्टे हैं, चूक
और तवे पर सिंकती पिछली रोटी परथन की
सब हमारे लिए.
ईसा की बीसवीं शाताब्दी की अंतिम पीढ़ी के लिए,
वे सारे युद्ध और तबाहियां.
मेला उखड़ने के बाद का कचड़ा-महामारियां,
समुद्र में डूबता सबसे प्राचीन बंदरगाह,
और टूट कर गिरता सर्वोच्च शिखर
सब हमारे लिए.
पोलिथिन थैलियों पर जीवित गौवों का दूध हमारे लिए
शहद का छत्ता खाली
हमारे लिए वो हवा, फेफड़े की अंतिम मस्तकहीन धड़.
पूर्वजों के सारे रोग हमारे रक्त में
वे तारे भी हमारे लिए जिनका प्रकाश अब तक पहुंचा ही नहीं हमारे पास
और वे तेरह सूर्य जो कहीं होंगे आज भी सुबह की प्रतीक्षा में.
सबसे सुंदर स्त्रियां और सबसे सुंदर पुरुष
और वो फूल जिसे मना है बदलना फल में
हमारी ही थाली में शासकों के दांत छूटे हुए
और जरा सी धूप में धधक उठती आदिम हिंसा.
जब भी हमारा जिक्र हो कहा जाए
हम उस समय जिए जब
सबसे आसान था चंद्रमा पर घर,
और सबसे मुहाल थी रोटी.
और कहा जाए
हर पीढ़ी की तरह हमें भी लगा
कि हमारे पहले अच्छा था सब कुछ
और आगे सब अच्छा होगा.
आप ने बहुत ही सुंदर कविता लिखी है। sulekh
ReplyDeleteशानदार लेख।
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