Sunday, February 17, 2013

अपनी पीढ़ी के लिए


वे सारे खीरे जिनमें तीतापन है हमारे लिए 
वे सब केले जो जुडवां हैं 
वे आम जो बाहर से पके पर भीतर खट्टे हैं चूक 
और तवे पर सिंकती पिछली रोटी परथन की 
सब हमारे लिए 
ईसा की बीसवीं शाताब्दी की अंतिम पीढी के लिए 
वे सारे युद्ध और तबाहियां 
मेला उखडने के बाद का कचडा महामारियां 
समुद्र में डूबता सबसे प्राचीन बंदरगाह 
और टूट कर गिरता सर्वोच्च शिखर 
सब हमारे लिए 
पोलिथिन थैलियों पर जीवित गौवों का दूध हमारे लिए 
शहद का छत्ता खाली 
हमारे लिए वो हवा फेफडे की अंतिम मस्तकहीन धड. 
पूर्वजों के सारे रोग हमारे रक्त में 
वे तारे भी हमारे लिए जिनका प्रकाश अब तक पहुंचा ही नहीं हमारे पास 
और वे तेरह सूर्य जो कहीं होंगे आज भी सुबह की प्रतीक्षा में 
सबसे सुंदर स्त्रियां और सबसे सुंदर पुरूष 
और वो फूल जिसे मना है बदलना फल में 
हमारी ही थाली में शासकों के दांत छूटे हुए 
और जरा सी धूप में ध्धक उठती आदिम हिंसा 

जब भी हमारा जिक्र हो कहा जाए 
हम उस समय जिए जब 
सबसे आसान था चंद्रमा पर घर 
और सबसे मोहाल थी रोटी 
और कहा जाए 
हर पीढी की तरह हमें भी लगा 
कि हमारे पहले अच्छा था सब कुछ 
और आगे सब अच्छा होगा।

-अरुण कमल

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