Friday, October 14, 2011

फूल


फूल हैं गोया मिट्टी के दिल हैं
धड़कते हुए 
बादलों के ग़लीचों पे रंगीन बच्चे
मचलते हुए 
प्यार के काँपते होंठ हैं
मौत पर खिलखिलाती हुई चम्पई


ज़िन्दगी
जो कभी मात खाए नहीं
और ख़ुश्बू हैं
जिसको कोई बाँध पाये नहीं


ख़ूबसूरत हैं इतने
कि बरबस ही जीने की इच्छा जगा दें
कि दुनिया को और जीने लायक बनाने की
इच्छा जगा दें.


-गोरख पाण्डेय

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