Friday, December 15, 2017

लाल हमारा रंग

हमें ऐसी कविताओं की जरूरत है
जिनमें खून के रंग की आभा हो
और दुश्मनों के लिए आती हो जिनसे
यमराज के भैंसे की घंटी की आवाज

कविताएँ
जो आतताइयों के चेहरे पर
सीधा वार करती हों
और उनके गरूर को तोड़ती हों

कविताएँ
जो लोगों को बताएँ
कि मृत्यु नहीं, जीवन
निराशा नहीं, आशा
सूर्यास्त नहीं, सूर्योदय
प्राचीन नहीं, नवीन
समर्पण नहीं, संघर्ष

कवि, तुम लोगों को बताओ
कि सपने सच्चाई में बदल सकते हैं
तुम आजादी की बात करो
और धन्नासेठों को सजाने दो
थोथी कलाकृतियों से अपनी बैठकें

तुम आजादी की बात करो
और महसूस करो लोगों की आँखों में
जनशक्ति की वह ऊष्मा
जो जेल की सलाखों को
सरपत घास की तरह मरोड़ देती है
ग्रेनाइट की दीवारों को ध्वस्त करके
रेत में बदल देती है

कवि,
इससे पहले कि यह दशक भी
अतीत में गर्क हो जाय
तुम जनता के बीच जाओ और
जन संघर्षों को आगे बढ़ाने में

मदद करो !

 – ए एन सी कुमालो

2 comments:

  1. Hola pase por tu blog
    gracias por compartirlo
    te mando mi blog de poesías por si deseas visitarlo.

    Besos
    POEMIAS
    anna-historias.blogspot.com/

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