हमारी आँखें
साफ़ बूँदें हैं
पानी की.
हर बूँद में मौजूद है
एक छोटी सी निशानी
हमारी काबिलीयत की
जिसने जान डाल दी ठन्डे लोहे में.
हमारी आँखें
पानी की
साफ़ बूँदें हैं
समन्दर में इस तरह घुलीमिली
कि आप शायद ही पहचान पाएँ
बर्फ की सिल्ली में एक बूँद
खौलती कडाही में.
शाहकार इन आँखों का
उनकी भरपूर काबिलीयत का
यह जिन्दा लोहा.
इन आँखों में
पाक साफ़ आँसू
छलक नहीं पाते
गहरे समन्दर से
बिखर जाती
अगर हमारी ताकत,
तो हम कभी नहीं मिला पाते
डायनेमो को टरबाइन के साथ,
कभी तैरा नहीं पाते
इस्पात के इन पहाड़ों को पानी में
इतनी आसानी से
कि जैसे खोंखले काठ के बने हों.
शाहकार इन आँखों का
उनकी भरपूर काबिलीयत का
हमारी मुत्तहद मेहनत का
यह जिन्दा लोहा.
– नाजिम हिकमत
(अंग्रेजी से अनुवाद — दिगम्बर)
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