जब वह बच्चा था, उसने मक्खियों
के पर नहीं नोचे
बिल्लियों की पूंछ में टिन नहीं बाँधा
माचिस की डिब्बी में भँवरों को कैद नहीं किया
चींटी की बाम्बी नहीं ढायी
वह बड़ा हुआ
और यह सबकुछ किया गया उसके साथ
जब वह मरा तो मैं उसके सिरहाने खड़ा था
उसने कहा कि एक कविता सुनाओ
सूरज और समुद्र के बारे में
नाभिकीय संयन्त्र और उपग्रहों के बारे में
मानवजाति की महानता के बारे में
— नाजिम हिकमत
(अनुवाद – दिगम्बर)
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