Tuesday, November 8, 2011

क्रान्ति दावत नहीं


सितारों की ओर देख क्रान्ति लाने की
सलाह देने वालों.
क्रान्ति जब आएगी
आपको तारे दिखा देगी
बन्दूकवालों!
या तो बन्दूक का मुंह दुश्मन की ओर कर दो
या फिर खुद अपनी ओर
क्रान्ति कोई दावत नहीं, नुमाइश नहीं
मैदान में बहती नदी नहीं.
वर्गों की, रुचियों की दरिन्दगी भरी भिडंत है.
मारना है, मरना है
और मौत को ख़त्म करना है.
-पाश

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