Thursday, November 17, 2011

जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ हैं

 जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ हैं?

ये कूचे ये नीलाम घर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवां जिन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के?
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?

ये पुरपेंच गलियां, ये बेख़ाब बाज़ार
ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?

तअफ्फ़ुन से पुर नीमरोशन ये गलियां
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द किलयां
ये बिकती हुई खोकली रंग रिलयां
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?

वो उजाले दरीचों में पायल की छन-छन
तनफ़्फ़ुस की उलझन पे तबले की धन-धन
ये बेरूह कमरों में खांसी की धन-धन
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?

ये गूंजे हुए क़ह-क़हे रास्तों पर
ये चारों तरफ़ भीड़ सी खिड़िकयों पर
ये आवाज़ें खींचते हुए आंचलों पर
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?

ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख़ फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये मदक़ूक़ चेहरे
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?

ये भूकी निगाहें हसीनों की जानिब
ये बढ़ते हुए हाथ सीनों की जानिब
लपकते हुए पांव ज़ीनों की जानिब
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?

यहां पीर भी आ चुके हैं जवां भी
तनूमन्द बेटे भी, अब्बा मियां भी
ये बीवी भी है और बहन भी है, मां भी
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?

मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी
यशोदा की हमजिन्स राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत ज़ुलैख़ा की बेटी
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?

ज़रा मुल्क के राहबरों को बुलाओ
ये कूचे ये गलियां ये मन्ज़र दिखाओ
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ को लाओ
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं? 



-साहिर लुधियानवी

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