नइया लगाव तनी भइया हो मलहवा
जाए के बा नदिया के पार
उहे बाटे लउकत धुंधर दियरवा
जहां बाटे घरवा हमार.
उहे बाटे लउकत धुंधर दियरवा
जहां बाटे घरवा हमार.
नदी का किछरवा बसल मोर गइयाँ
जन्हवा बितल भइया मोर लइकइयाँ
पेटवा के जरल धइनी कलकतिया
बिपति में केहू नाही होखेला संघतिया
पांचवे बरिस पर जात बानी घरवा
धरकत मनवा हमार. नइया लगाव...
जन्हवा बितल भइया मोर लइकइयाँ
पेटवा के जरल धइनी कलकतिया
बिपति में केहू नाही होखेला संघतिया
पांचवे बरिस पर जात बानी घरवा
धरकत मनवा हमार. नइया लगाव...
बुढवा हो गइनी हम करके नौकरिया
तबहू त रही गइल सुखवा सपनवां
पतिया लिखाई ईया भेजे कल्पनवां
फिकिर से तडफत रहत परनवां
बाड़ी मोर ईयवा बेमार. नइया लगाव...
तबहू त रही गइल सुखवा सपनवां
पतिया लिखाई ईया भेजे कल्पनवां
फिकिर से तडफत रहत परनवां
बाड़ी मोर ईयवा बेमार. नइया लगाव...
हमहू बेहाल नाहीं छुटत जडइया
सथवा में बाटे खाली लाइ के गठरिया
घरनी हमार उंहा करे मजदूरिया
रोई रोई पेन्हे एगो झिरकुट सडिया
गिरल बुझात मोर टुटही मरइया
कइसे इ बेडा होई पार. नइया लगाव...
सथवा में बाटे खाली लाइ के गठरिया
घरनी हमार उंहा करे मजदूरिया
रोई रोई पेन्हे एगो झिरकुट सडिया
गिरल बुझात मोर टुटही मरइया
कइसे इ बेडा होई पार. नइया लगाव...
दऊरल आई जब नन्हका लइकवा
मांगे लागी जब लाल भगई अउ मीठवा
फाटि जइहे भइया मोर पत्थर करेजवा
अंखिया में लोर नाहीं बचल धीरजवा
चारु ओर भइल अन्हार ना सूझत किछु
नैया पडल मजधार, नइया लगाव...
-बसंत कुमार
मांगे लागी जब लाल भगई अउ मीठवा
फाटि जइहे भइया मोर पत्थर करेजवा
अंखिया में लोर नाहीं बचल धीरजवा
चारु ओर भइल अन्हार ना सूझत किछु
नैया पडल मजधार, नइया लगाव...
-बसंत कुमार
No comments:
Post a Comment